Sitaram's idol and God's bow will be made in Ayodhya with 40 tons of stones from Nepal

नेपाल के पोखरा स्थित शालिग्रामी नदी या काली गंडकी नदी से दो शिलाएं जियोलॉजिकल और आर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की देखरेख में निकाली गई हैं। 6 करोड़ साल पुराने इन दो शालिग्राम पत्थर का वजन 26 और 14 टन का है। काली गंडकी नदी के किनारे पर चले पूजा कार्य में उस प्रांत के गवर्नर, मुख्यमंत्री, जानकी मंदिर के पुजारी और अयोध्या से नेपाल पहुंचे वीएचपी के वरिष्ठ अधिकारी राजेंद्र पंकज खुद मौजूद थे। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के निर्माण में भगवान राम का ससुराल पक्ष यानि नेपाल के जनकपुर का जानकी मंदिर एक बड़ा योगदान देने जा रहा है। इससे राम और सीता की मूर्तियों का निर्माण कर अयोध्या स्थित राम मंदिर में स्थापित किया जाएगा। नेपाल के पूर्व गृहमन्त्री विमलेन्द्र निधि के अनुसार इससे दोनों देशों भारत और नेपाल के बीच पहले से ही चला आ रहा ऐतिहासिक रिश्ते और संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे।

Sitaram's idol and God's bow will be made in Ayodhya with 40 tons of stones from Nepal
Sitaram's idol and God's bow will be made in Ayodhya with 40 tons of stones from Nepal.

26 जनवरी को विधिवत इसका गलेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक कर दिया गया है और इस शिला का परीक्षण 30 जनवरी में जनकपुर में किया जाएगा फिर 31 जनवरी को अयोध्या के लिये यह पत्थर कूच करेगा। जनकपुर में 5 कोसी परिक्रमा के बाद इन शिलाओं का अयोध्या की ओर प्रस्थान होगा। महंत संत श्रीरामतपेश्वरदास महाराज स्वयं और उनके उत्तराधिकारी महंत राम रोशनदान महाराज की अगुआई में यह परिक्रमा होगी यह पवित्र शिलाएं नेपाल के जटही बॉर्डर से भारत में प्रवेश करेंगी।  नेपाल के पोखरा से अयोध्या लाए जा रहे देव शिला शालिग्राम के पत्थर की रास्ते में बङी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करते दिख रहे हैं ।इसी शिला से अयोध्या में प्रभु श्रीराम और मां सीता की मूर्ति का निर्माण किया जायेगा। कालीगंडकी नदी के शालिग्राम बेस्ट क्वालिटी के माने जाते  हैं और कहा जाता है कि ये इतने मजबूत होते हैं कि किसी भी प्राकृतिक दुर्घटना भी उनको क्षति नहीं पहुंच सकती। इस नदी को नेपाल में लोग भगवान विष्णु के प्रतीक रूप में पूजते हैं और यह नदी भारत में प्रवेश करते ही नारायणी नदी के नाम से जानी जाती है। यह नदी दामोदर कुंड से निकलकर बिहार के सोनपुर में गंगा नदी में मिल जाती है।

नेपाल के जनकपुर की जानकी मंदिर से जुड़े लोगों ने भगवान राम को धनुष बनाकर देने की पेशकश भी की थी। इस बावत विगत 30 जुलाई को नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विमलेन्द्र निधि और जानकी मंदिर जनकपुर के महंत रामतपेश्वर दास के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने नेपाली जनता की ओर से अयोध्या जाकर श्री रामजन्मभूमि न्यास तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय, स्वामी गोविंददेव गिरी और निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र से मिलकर अपनी इच्छा को प्रकट किया। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय की तरफ से जानकी माता मंदिर को 2 पत्र लिखकर काली गंडक नदी की शिलाखंड और श्रीराम का धनुष भेंट करने का उनके आग्रह को स्वीकृति दी गई है। शिला यात्रा के साथ करीब 100 लोग चल रहे हैं और बिहार में 51 जगहों पर शिला पूजन की व्यवस्था की गई है। श्रीराम जन्मभूमि में राम मंदिर का 70% निर्माण पूरा हो चुका है और 2025 तक हिंदुओं की आस्था का यह राम मंदिर अपने पूरे आकार में पहुंच जायेगा।

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